फरहान इसराइली / जयपुर
राजस्थान कोसिर्फ किले, मंदिर और समृद्ध इतिहास ही नहीं, बल्कि इसके अनोखे व्यंजन भी इसे खास बनाते हैं.गट्टा, केर सांगरी, पापड़ भुजिया की सब्जी, फेमस दाल बाटी चूरमा से भरी प्रसिद्ध राजस्थानी थाली के बिना राजस्थान का सफर पूरा नहीं होता.अगर आप मांसाहारी हैं, तो आपको राजस्थान में अपनी थाली में 'लाल मांस' भी मिलेगा.
मथानिया मिर्च के साथ बना यह तीखा, चटपटा और लजीज व्यंजन राजस्थान की एक सिग्नेचर डिश है.लाल मांस एक मीट करी है, जिसे बकरे के गोश्त से बनाया जाता है.जयपुर के एम आई रोड पर स्थित एक मशहूर और वर्ष 1985 से संचालित ओल्ड ग्रीन फैमिली ढाबा के मालिक जावेद अहमद कुरेशी बताते हैं कि वह पिछले 10 सालों से लाल मांस बना रहे हैं.
इसमें साबुत मिर्च और खड़ा मसाले डालते हैं.इस देसी एवं विदेशी सभी पर्यटक पसंद करते हैं.दही और मथानिया लाल मिर्च के कॉम्बिनेशन को पकाकर इस डिश को बनाया जाता है.जावेद बताते है कि यह काफी तीखी डिश है जिसमें लहसुन का खूब इस्तेमाल किया जाता है.
देसी घी में बना लाल मांस आमतौर पर गेहूं और बाजरे की रोटी के साथ परोसा जाता है.यही कारण है कि यह राजस्थान की एक पॉपुलर और सिग्नेचर डिश है.राजस्थान पहले राजपूतों द्वारा शासित और फिर मुगलों के प्रभाव वाला राज्य था.
उस दौरान शिकार बहुत किया जाता था.राजपूत कुलीन परिवार शिकार के खेल में अक्सर शामिल होते थे.यह एक ऐसी परंपरा और दावत थी जो किसी दूसरे राज्य के मेहमान के आने पर की ही जाती थी. राजस्थान में ऑथेंटिक लाल मास का स्वाद जैसा यहां मिलता है, दूसरी जगह मिल पाना थोड़ा मुश्किल है.
यह राजस्थानी व्यंजन तीखा होता है.मटन कई सारे गुणों से भरपूर होता है.यह विटामिन-बी 1, बी 2, विटामिन-ई, विटामिन-के, प्रोटीन, नेचुरल फैट, अमीनो एसिड, कैल्शियम, आयरन, जिंक और कई पोशक तत्वों से भरपूर होता है.इसे सीमित मात्रा में खाया जाए, तो यह कई तरह से आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद है. दसवीं सदी से चली आ रही राजस्थानी दावतों में यह भोजन शामिल है.
इसके पीछे एक रोचक कहानी भी है.माना जाता है कि मेवाड़ में सबसे पहली बार लाल मांस बना, लेकिन इसके पीछे एक बड़ा किस्सा है.दरअसल शिकार में लाए गए हिरण को लोग बहुत चाव से खाते थे.इसे मेहमानों के लिए खासतौर से तैयार किया जाता था.
एक बार मेवाड़ के राजा ने हिरण का मांस खाने से मना कर दिया.वजह थी कि दही और लहसुन के साथ बनाने के बाद भी उसकी महक दूर नहीं हुई थी.खानसामों ने राजशाही किचन में कई सारे ट्रायल किए मगर कुछ नहीं हो सका.
फिर एक खानसामे ने खूब सारी मथानिया मिर्चों को इसकी ग्रेवी के साथ पकाया.इसके बाद इसे राजा के सामने पेश किया गया.इसका तीखेपन, रंग और स्वाद ने मेवाड़ के राजा को खुश किया-इस तरह लाल मांस वजूद में आया.यदि आप सच्चे भोजन प्रेमी हैं और पारंपरिक राजस्थानी डिश लाल मांस जयपुर में खाना चाहते है तो निम्न जगहों पर आपको लाल मांस खाने को मिल सकता है.
1. हांडी रेस्तरां
इस मशहूर रेस्टोरेंट के जयपुर में दो रेस्टोरेंट हैं.एक वैशाली नगर में है और पुराना एमआई रोड पर है.यहां लाल मास को ताजगी के लिए धनिये से सजाकर और भरपूर मात्रा में घी के साथ परोसा जाता है.
2. टॉक ऑफ द टाउन (एमआई रोड)
जयपुर में लाल मास के लिए बिल्कुल सही जगह है.यदि आप सच्चे मांसाहारी प्रेमी हैं तो इस जगह पर अवश्य जाएँ.
3. 1135 AD आमेर जयपुर
यह रेस्तरां आमेर किले के पास है.वर्षों से लजीज़ मुगलई व्यंजन परोस रहा है.यह थोड़ा महंगा है लेकिन आपको मिलने वाला शाही अनुभव इसके लायक है.
4. स्पाइस कोर्ट
यह जयपुर में लाल मास के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है.लाल मास के अलावा, यह अपनी स्वादिष्ट घी से भरपूर कीमा बाटी के लिए भी प्रसिद्ध है.
5. आईटीसी राजपूताना- पेशावरी
संभवतः जयपुर के सबसे शानदार रेस्तरां में से एक पारंपरिक रूप से प्रामाणिक लाल मास परोसता है.
6. नीरोज
आरामदायक भोजन के लिए नीरोज़ बेहतरीन स्थानों में से एक है.रुमाली रोटी के साथ इसका लाल मांस एक स्वादिष्ट व्यंजन है.
7. ओल्ड ग्रीन
जयपुर सहित देश प्रदेश से लोग यहां का लाल मांस सहित मुर्ग हरा धनिया खाने यहां खाते हैं. ये रेस्टोरेंट भी एमआई रोड पर स्थित है.